Home » Generative AI के बाद अब एजेंटिक AI का दौर, IT इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव!

Generative AI के बाद अब एजेंटिक AI का दौर, IT इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव!

by pranav tiwari
0 comments
Generative AI के बाद अब एजेंटिक AI का दौर, IT इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव!

भारत में Generative AI के इस्तेमाल से डेवलपर्स की उत्पादकता में तेज़ी से सुधार हो रहा है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, 10 में से 8 भारतीय डेवलपर्स (लगभग 80%) ने स्वीकार किया कि एआई के उपयोग से उनकी कार्यक्षमता और उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी हुई है।

आईटी उद्योग में AI का बढ़ता प्रभाव

यह रिपोर्ट बताती है कि भारत की आईटी सेवा उद्योग (IT-enabled Services) में एआई तेजी से बदलाव ला रहा है। कंपनियां अपने वर्कफ़्लो में एआई को शामिल कर रही हैं, जिससे कार्यों की दक्षता बढ़ रही है। जनरेटिव एआई (GenAI) केवल एक शुरुआत है। अब उद्योग की अगली बड़ी छलांग एजेंटिक एआई (Agentic AI) होगी, AI केवल सहायक की भूमिका में नहीं रहेगा, बल्कि स्वतः कार्य करेगा, संभावित त्रुटियों की भविष्यवाणी करेगा और वास्तविक समय में संचालन को अनुकूलित करेगा।

एआई-ड्रिवन ऑटोमेशन से होंगे ये लाभ

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (Boston Consulting Group – BCG) की रिपोर्ट के अनुसार, एआई-आधारित स्वचालन (AI-driven automation) से आईटी उद्योग को कई फायदे मिल सकते हैं, जैसे:

  • सॉफ़्टवेयर रिलीज़ की गति बढ़ेगी: नए सॉफ़्टवेयर को तेज़ी से विकसित और लॉन्च किया जा सकेगा।
  • ऑपरेशनल लागत में कमी: एआई का सही उपयोग कंपनियों के लिए लागत को कम करेगा।
  • डाउनटाइम लगभग शून्य होगा: एआई द्वारा वास्तविक समय में निगरानी और सुधार करने से सिस्टम की रुकावटें कम होंगी।

हालांकि, इस भविष्य को हासिल करने के लिए आज मजबूत जनरेटिव एआई (GenAI) इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना जरूरी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यह तकनीक अब केवल एक प्रयोग नहीं है, बल्कि यह सॉफ़्टवेयर विकास की दुनिया को पूरी तरह से बदल रही है। कोडिंग, परीक्षण (Testing) और तैनाती (Deployment) की प्रक्रिया को तेज़ और अधिक प्रभावी बनाने में इसका बड़ा योगदान है।

भारत वैश्विक IT सेवाओं की रीढ़

भारत दशकों से वैश्विक आईटी सेवा उद्योग का एक प्रमुख केंद्र रहा है। देश ने सॉफ़्टवेयर विकास और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में एक अहम भूमिका निभाई है। लेकिन जैसे-जैसे एआई इस उद्योग का पुनर्निर्माण कर रहा है, कंपनियों को पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर जनरेटिव एआई को अपने वर्कफ़्लो में पूरी तरह से शामिल करना होगा।

‘हॉकी स्टिक प्रभाव’ और एआई का भविष्य

बीसीजी के प्रबंध निदेशक और वरिष्ठ भागीदार राजीव गुप्ता ने कहा कि जनरेटिव एआई विकास की ‘हॉकी स्टिक प्रभाव’ (Hockey Stick Effect) की शुरुआती अवस्था में है। इसका मतलब यह है कि अभी बदलाव धीरे-धीरे हो रहा है, लेकिन आने वाले वर्षों में एआई की वृद्धि अत्यधिक तेज़ गति से होगी।

Generative AI के बाद अब एजेंटिक AI का दौर, IT इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव!

उन्होंने कहा, “हम एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं। भारतीय आईटी-ईनेबल्ड सर्विसेज (ITES) को आत्मविश्वास के साथ नेतृत्व करना होगा, जनरेटिव एआई को तत्परता से अपनाना होगा और एआई-संचालित सेवाओं के भविष्य को आकार देने का अधिकार अर्जित करना होगा।”

गुप्ता ने आगे कहा, “अब हमारे पास दो ही विकल्प हैं – या तो इस बदलाव को अपनाकर वैश्विक नेतृत्व को और मजबूत करें, या फिर हिचकिचाकर अपनी स्थिति खो दें और अप्रासंगिक बन जाएं।”

कंपनियों को इन चुनौतियों का करना होगा समाधान

हालांकि एआई के बढ़ते प्रभाव के बावजूद, कंपनियों को कुछ अहम चुनौतियों का समाधान करना होगा:

  1. एआई प्रशिक्षण पर निवेश करना होगा: रिपोर्ट के अनुसार, जिन कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को एआई प्रशिक्षण दिया, उन्होंने 16% से 48% तक अपनाने की दर (Adoption Rate) में वृद्धि देखी। यानी, पांच या अधिक लक्षित प्रशिक्षण सत्रों के बाद एआई का उपयोग करने वाले कर्मचारियों की संख्या तीन गुना बढ़ गई।

  2. ग्राहक एआई-आधारित सेवाओं के लिए अधिक भुगतान करने को तैयार हैं: रिपोर्ट में बताया गया कि 92% एंटरप्राइज क्लाइंट एआई-ड्रिवन सेवाओं के लिए अतिरिक्त भुगतान करने को तैयार हैं। इसलिए, आईटी कंपनियों को अपने निवेश पर ठोस लाभ दिखाने की आवश्यकता होगी, ताकि वे और अधिक व्यापार आकर्षित कर सकें।

  3. नौकरी सुरक्षा और वर्कफ़्लो में व्यवधान: एआई अपनाने के साथ एक महत्वपूर्ण चिंता यह भी है कि इससे नौकरियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों को एआई और मानव संसाधनों के बीच संतुलन बनाए रखना होगा, ताकि कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा बनी रहे और कार्य प्रक्रिया में बाधा न आए।

भारत के लिए आगे की राह

भारत के पास आईटी सेवाओं में वैश्विक नेतृत्व बनाए रखने का शानदार अवसर है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि:

  • कंपनियां एआई को जल्दी से अपनाएं और इसे अपने सिस्टम में पूरी तरह से एकीकृत करें।
  • डेवलपर्स और कर्मचारियों को एआई प्रशिक्षण प्रदान किया जाए, ताकि वे इस नई तकनीक के साथ तालमेल बिठा सकें।
  • एआई के संभावित जोखिमों और एथिकल (Ethical) मुद्दों को ध्यान में रखते हुए जिम्मेदारी से इसका इस्तेमाल किया जाए।

जनरेटिव एआई भारतीय डेवलपर्स की उत्पादकता में जबरदस्त बढ़ोतरी कर रहा है। यह केवल कोडिंग और सॉफ़्टवेयर विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके व्यापक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। रिपोर्ट से यह साफ है कि भारत में एआई-ड्रिवन ऑटोमेशन तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले समय में यह उद्योग में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

कंपनियों को एआई में निवेश करने और इसे अपनाने की रणनीति पर ध्यान देना होगा। जो कंपनियां इस बदलाव को गले लगाएंगी, वे बाजार में आगे बढ़ेंगी, जबकि जो कंपनियां हिचकिचाएंगी, वे प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकती हैं।

अब देखना यह है कि भारतीय आईटी कंपनियां इस अवसर का कैसे लाभ उठाती हैं और एआई-संचालित भविष्य में अपनी स्थिति को मजबूत करती हैं।

You may also like

Leave a Comment

Get Latest News in Duniya Ki Aawaz 

@2025 – Duniya ki Aawaz All Right Reserved.