Crimean-Congo Hemorrhagic: क्राइमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार (Crimean-Congo Hemorrhagic Fever – CCHF) एक गंभीर वायरल बीमारी है, जो ब्लड से संबंधित होती है। यह वायरस जानवरों और संक्रमित टिक्स (Ticks) के जरिए इंसानों में फैलता है। यह एक घातक बीमारी है, जिसकी मृत्यु दर 10% से 40% तक हो सकती है। अगर इस संक्रमण को समय पर नहीं रोका गया, तो यह महामारी का रूप ले सकता है।
इस लेख में हम जानेंगे कि यह वायरस कैसे फैलता है, इसके लक्षण क्या होते हैं, और इसका उपचार कैसे किया जा सकता है।
CCHF क्या है?
क्राइमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार (CCHF) एक वायरल संक्रमण है, जो नैरोवायरस (Nairovirus) नामक वायरस के कारण होता है। यह बुनीविरिडे (Bunyaviridae) परिवार से संबंधित है और मुख्य रूप से हयालोमा टिक (Hyalomma Ticks) के काटने या संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से फैलता है।
यह वायरस जानवरों के रक्त और ऊतकों (Tissues) में मौजूद रहता है। अगर कोई व्यक्ति संक्रमित जानवर के संपर्क में आता है या उस जानवर के खून या टिश्यू से जुड़ा होता है, तो वह इस वायरस से संक्रमित हो सकता है।
CCHF का इतिहास
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, इस बीमारी की पहचान सबसे पहले 1944 में क्रीमिया (Crimea) प्रायद्वीप में हुई थी। उस समय इसे क्रीमियन रक्तस्रावी बुखार कहा गया था।
बाद में 1956 में कांगो (Congo) में भी इसी तरह की बीमारी पाई गई। 1969 में वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि ये दोनों बीमारियां एक ही वायरस के कारण हो रही थीं। इसलिए इस बीमारी का नाम “क्राइमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार” रखा गया।
CCHF कैसे फैलता है?
CCHF वायरस मुख्य रूप से जानवरों और टिक्स के जरिए इंसानों तक पहुंचता है।
- टिक्स के काटने से:
- हयालोमा टिक्स (Hyalomma Ticks) इस वायरस के मुख्य वाहक (Carrier) होते हैं। जब ये टिक्स किसी इंसान को काटते हैं, तो वायरस उसके खून में पहुंच जाता है।
- संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से:
- संक्रमित जानवरों जैसे भेड़, बकरी, गाय और अन्य पालतू पशुओं के संपर्क में आने से यह वायरस इंसानों तक फैल सकता है।
- बूचड़खाने के कर्मचारी, पशुपालक और किसान अधिक जोखिम में होते हैं।
- मानव-से-मानव संक्रमण:
- अगर कोई व्यक्ति पहले से संक्रमित है और उसके खून या शारीरिक तरल पदार्थ (Body Fluids) के संपर्क में कोई दूसरा व्यक्ति आता है, तो वह भी इस वायरस से संक्रमित हो सकता है।
- अस्पतालों में संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर और नर्स भी इसकी चपेट में आ सकते हैं।
CCHF के लक्षण
CCHF वायरस से संक्रमित होने के बाद लक्षण अचानक दिखाई देते हैं। संक्रमण के लक्षण टिक के काटने के 1-3 दिन बाद विकसित हो सकते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह 9 दिनों तक भी दिखाई नहीं देते।
प्रारंभिक लक्षण (Early Symptoms):
- तेज बुखार
- मांसपेशियों में दर्द
- गर्दन और पीठ में अकड़न
- सिरदर्द और आंखों में दर्द
- थकान और कमजोरी
- प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता (Photophobia)
- उल्टी और मतली
- डायरिया और पेट दर्द
- गले में खराश
गंभीर लक्षण (Severe Symptoms):
अगर बीमारी बढ़ जाती है, तो मरीज को और गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे:
- त्वचा पर चकत्ते (Rashes) और रक्तस्राव (Bleeding)
- नाक और मसूड़ों से खून बहना
- अत्यधिक कमजोरी और भ्रम (Confusion)
- गुर्दे और लीवर फेलियर
- बेहोशी और कोमा
CCHF एक घातक बीमारी है और अगर समय पर इलाज नहीं हुआ, तो मरीज की मौत हो सकती है।
CCHF का निदान (Diagnosis)
अगर किसी व्यक्ति में CCHF के लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट के जरिए इसकी पुष्टि कर सकते हैं:
- RT-PCR टेस्ट (Reverse Transcription Polymerase Chain Reaction) – यह वायरस की मौजूदगी का पता लगाने में मदद करता है।
- इम्यूनोलॉजिकल टेस्ट (ELISA – Enzyme-Linked Immunosorbent Assay) – इससे शरीर में वायरस के खिलाफ बनने वाली एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है।
- वायरस आइसोलेशन टेस्ट – इसमें वायरस को शरीर से अलग करके उसकी जांच की जाती है।
CCHF का उपचार (Treatment)
CCHF का कोई विशेष इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाते हैं:
- सपोर्टिव केयर (Supportive Care):
- मरीज को अधिक मात्रा में तरल पदार्थ (Fluids) दिए जाते हैं।
- ब्लड प्रेशर और इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित रखा जाता है।
- रिबाविरिन (Ribavirin) दवा:
- WHO के अनुसार, रिबाविरिन (Ribavirin) नामक एंटीवायरल दवा CCHF के इलाज में प्रभावी हो सकती है।
- हालांकि, इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं किया जाना चाहिए।
- रक्त आधान (Blood Transfusion):
- अगर मरीज को अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा है, तो उसे ब्लड ट्रांसफ्यूजन दिया जाता है।
- संक्रमित व्यक्ति को अलग रखना (Isolation):
- CCHF एक संक्रामक बीमारी है, इसलिए मरीज को दूसरों से अलग रखना जरूरी होता है।
- अस्पताल में मरीज की देखभाल के दौरान सुरक्षात्मक कपड़े (PPE) पहनने चाहिए।
CCHF से बचाव के उपाय (Prevention Tips)
CCHF से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए:
- टिक के काटने से बचें:
- घास या झाड़ियों में जाने से पहले शरीर को पूरी तरह ढकें।
- टिक-रिपेलेंट (Tick Repellent) क्रीम का उपयोग करें।
- जानवरों के संपर्क में सावधानी बरतें:
- संक्रमित जानवरों के खून और टिश्यू से बचें।
- पशुपालकों और बूचड़खाने के कर्मचारियों को सुरक्षात्मक कपड़े पहनने चाहिए।
- संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखें:
- मरीज के खून या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से बचें।
- अस्पतालों में संक्रमित मरीजों के इलाज के दौरान PPE किट का इस्तेमाल करें।
- साफ-सफाई का ध्यान रखें:
- हाथ धोने की आदत डालें।
- अस्पतालों और घरों में सफाई बनाए रखें।
क्राइमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार (CCHF) एक गंभीर और संक्रामक वायरल बीमारी है। यह मुख्य रूप से टिक के काटने या संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से फैलता है। इस बीमारी का मृत्यु दर बहुत अधिक है, लेकिन समय पर इलाज और उचित देखभाल से मरीज की जान बचाई जा सकती है।
इसलिए, अगर आपको CCHF के लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उचित सावधानियां बरतें।