Tomato Price: इस बार टमाटर की खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। बदायूं में टमाटर का भाव गिरकर मात्र 5 रुपये प्रति किलो रह गया है। स्थिति इतनी खराब हो गई है कि खेत से टमाटर निकालकर मंडी तक ले जाने का खर्च भी नहीं निकल पा रहा। इस नुकसान से परेशान किसान महावीर ने रविवार को अपनी पूरी टमाटर की फसल ट्रैक्टर से जोतवा दी।
टमाटर की ऐसी दुर्गति पहले नहीं देखी
बदायूं के पंखा रोड निवासी सब्जी के थोक व्यापारी अमर सिंह के अनुसार इस महीने टमाटर के दाम में जबरदस्त गिरावट आई है। शादी-ब्याह के मौसम में भी टमाटर का थोक मूल्य 5 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया, जबकि व्यापारियों को भी इतनी गिरावट की उम्मीद नहीं थी।
मंडी में मांग नहीं, खेत से टमाटर लाना भी मुश्किल
थोक बाजार में टमाटर की मांग बेहद कम होने के कारण किसान खेत से टमाटर निकालकर बाजार तक नहीं ला रहे। कारण साफ है कि लागत भी नहीं निकल रही। किसान इस उम्मीद में थे कि शायद दाम बढ़ेंगे, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा। ऐसे में उनके पास फसल जोतने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा।
बिलसी, बिसौली और वजीरगंज के कई किसानों ने अपनी टमाटर की फसल बर्बाद कर दी। भिलौइया के चंद्रपाल और अचौरा के श्यामपाल जैसे कई किसानों ने खेत में ही टमाटर की फसल नष्ट कर दी। अब वे खेत की तैयारी जल्दी मक्के की फसल के लिए कर रहे हैं।
थोक में टमाटर सस्ता, खुदरा में 15 रुपये किलो
थोक बाजार में टमाटर 5 रुपये किलो बिक रहा है, लेकिन खुदरा बाजार में इसके दाम अब भी 15 रुपये प्रति किलो बने हुए हैं। फुटकर विक्रेता अच्छे टमाटर गाड़ियों और ठेलों पर गलियों और मोहल्लों में बेचने निकलते हैं। स्टेशन रोड पर ठेले पर टमाटर बेच रहे सौदान ने बताया कि वह थोक बाजार से 5 रुपये किलो में टमाटर खरीदते हैं, लेकिन छंटाई के दौरान खराब टमाटर अलग करना पड़ता है। इस वजह से खुदरा में 15 रुपये किलो बेचने पर भी पूरे दिन में मुश्किल से 200-300 रुपये बच पाते हैं।
एक बीघे में 3000 रुपये की लागत, 1500 रुपये का नुकसान
टमाटर की खेती पर खर्च भी कम नहीं आता। एक बीघा खेत में टमाटर उगाने में करीब 3000 रुपये की लागत आती है। शुरुआती दिनों में बाजार में 20 रुपये किलो का भाव मिला था, लेकिन जैसे-जैसे टमाटर की आवक बढ़ी, भाव गिरता चला गया। पिछले चार-पांच दिनों से बाहर के व्यापारी भी खरीदने नहीं आ रहे, जिससे प्रति बीघा 1500 रुपये तक का नुकसान हो रहा है।
किसानों का दर्द: मेहनत भी गई, पैसा भी डूबा
रेहड़िया गांव के किसान राकेश मौर्य ने बताया कि उन्होंने करीब चार बीघा खेत में टमाटर की खेती की थी। सिंचाई, निराई-गुड़ाई और कीटनाशकों पर कुल खर्च करीब 3000 रुपये प्रति बीघा आया। इस बार पूरी फसल से उन्हें सिर्फ 7000 रुपये की ही कमाई हो पाई। अब मजबूरी में उन्होंने फसल जोतवा दी। अचौरा गांव के मोरपाल का कहना है कि टमाटर की खेती में उन्हें करीब 5000 रुपये का नुकसान हुआ है। अगर अपनी मेहनत और समय का भी हिसाब लगाएं तो घाटे की सही गणना तक करना मुश्किल हो जाता है। इतना ही नहीं, मोरपाल को पिछले साल की तरह मुनाफा मिलने की उम्मीद थी, लेकिन इस साल टमाटर और पत्तागोभी दोनों की फसल खेत में ही बर्बाद करनी पड़ी।
किसानों की चिंता: आगे क्या करें?
बाजार में लगातार गिरते भाव और लागत न निकल पाने से किसान बुरी तरह से परेशान हैं। किसानों को उम्मीद थी कि इस बार शादी-ब्याह के सीजन में दाम अच्छे मिलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब किसान टमाटर की जगह दूसरी फसलें उगाने की योजना बना रहे हैं। कई किसान मक्का, बाजरा जैसी फसलें उगाने की तैयारी कर रहे हैं, ताकि आगे नुकसान न उठाना पड़े।
सरकार से राहत की मांग
किसानों का कहना है कि अगर सरकार समर्थन मूल्य तय कर दे या सब्सिडी दे तो उनका नुकसान कम हो सकता है। किसान चाहते हैं कि सरकार फसलों के उचित दाम तय करने की कोई नीति बनाए, ताकि हर साल ऐसे हालात न बनें। बदायूं के टमाटर किसानों को इस बार भारी नुकसान उठाना पड़ा है। बाजार में मांग कम और आपूर्ति ज्यादा होने से दाम इतने गिर गए कि लागत भी नहीं निकल रही। मजबूर होकर किसानों को अपनी फसल जोतवानी पड़ रही है। सरकार को चाहिए कि किसानों को सही दाम दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि भविष्य में ऐसे हालात न दोहराए जाएं।