Pilibhit News: पीलीभीत जिले में एक गंभीर घटना सामने आई है जिसमें एक महिला की मौत ऑपरेशन के दौरान सर्जिकल स्पॉन्ज छोड़ दिए जाने के कारण हो गई। इस मामले की जांच के बाद पांच डॉक्टरों को दोषी पाया गया है, जिनमें सरकारी मेडिकल कॉलेज के तीन डॉक्टर और एक निजी अस्पताल के दो डॉक्टर शामिल हैं। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट को सौंप दी है।
मामले का विवरण
पीलीभीत के मिशरैन गंटिया गांव की रहने वाली खलवती, जो उमाशंकर की पत्नी थीं, का इलाज 7 जुलाई से 23 जुलाई तक एक निजी अस्पताल में चल रहा था। महिला का गर्भाशय (यूटरस) का ऑपरेशन किया गया था। ऑपरेशन के बाद महिला को कोई राहत नहीं मिली, इसके बावजूद उसने कई बार डॉक्टर से सलाह ली। 13 नवंबर को महिला के परिजनों ने उसे सरकारी मेडिकल कॉलेज के जिला अस्पताल में भर्ती कराया। इसके बाद, 15 नवंबर को डॉक्टरों ने एक छोटी सर्जरी की।
अगले दिन 16 नवंबर को किए गए सीटी स्कैन में यह खुलासा हुआ कि ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट में एक सर्जिकल स्पॉन्ज छोड़ दिया गया था। डॉक्टरों ने इस मामले को महिला से छुपा लिया और उसे 26 नवंबर को अस्पताल से छुट्टी दे दी।
दूसरी सर्जरी और महिला की मौत
इसके बाद, दिसंबर महीने में महिला को बरेली के एक निजी अस्पताल में दो और ऑपरेशन करवाए गए, लेकिन दुर्भाग्यवश महिला की मौत दूसरे ऑपरेशन के बाद हो गई। इस मामले में शिकायत मिलने के बाद, जिला मजिस्ट्रेट ने 10 दिसंबर को एक जांच समिति गठित की। जांच समिति ने सभी पक्षों के बयान दर्ज किए और अपनी रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट को सौंप दी। रिपोर्ट में कहा गया कि इस मामले में इलाज से जुड़े सभी डॉक्टर दोषी पाए गए हैं।
जांच में दोषी पाए गए डॉक्टर
जांच समिति ने सरकारी मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. रुचिका बोरा, सीनियर रेजिडेंट डॉ. सैफ अली, सीनियर रेजिडेंट डॉ. आशा गंगवार, निजी डॉक्टर रामबेटी चौहान और डॉ. हिमान महेश्वरी को दोषी ठहराया है। ये सभी डॉक्टर महिला के इलाज से जुड़े थे और उनकी लापरवाही के कारण महिला की जान चली गई। यह मामला गंभीर हो गया है क्योंकि डॉक्टरों की लापरवाही के कारण एक जीवन की हानि हुई, जिससे समाज में गहरी चिंता पैदा हो गई है।
साइबर अपराध में ठगी: युवक से 18 हजार रुपये की ठगी
वहीं दूसरी ओर, एक युवक के साथ ऑनलाइन गेमिंग के जरिए 18 हजार रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। साइबर अपराधियों ने इस युवक को व्हाट्सएप पर एक संदेश भेजकर ऑनलाइन पैसे कमाने का लालच दिया। इस युवक का नाम अजय पाल राठौर है, जो रेलवे स्टेशन चौक स्थित एक होटल में कर्मचारी है। उसने इस मामले में 13 फरवरी को यूपीकॉम्प के साथ ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराई है।
ठगी का तरीका
अजय को 13 फरवरी को व्हाट्सएप पर एक संदेश मिला जिसमें उसे एक इंस्टाग्राम यूजर द्वारा भेजे गए विज्ञापन को लाइक करने के बदले पैसे कमाने का लालच दिया गया। शुरुआत में उसे कुछ पैसे मिले, लेकिन इसके बाद उसे लगातार नए-नए कार्य दिए गए, जिसमें पैसे जमा करने का भी काम शामिल था। पहले उसे 1000 रुपये जमा करने के लिए कहा गया, फिर उसे 3000 रुपये और उसके बाद 15 हजार रुपये जमा करने को कहा गया। इसके बाद वह 15 हजार रुपये उधार लेकर जमा करता है।
फिर उसे 30 हजार रुपये और जमा करने के लिए कहा गया, लेकिन इस बार युवक ने असमर्थता जताते हुए अपनी राशि वापस लौटाने की मांग की, जिसे ठगों ने ठुकरा दिया। युवक ने साइबर ठगों से अपनी जमा की गई राशि की वापसी की बार-बार कोशिश की, लेकिन ठगों ने किसी प्रकार की मदद नहीं की।
पुलिस द्वारा कार्रवाई
इस मामले के बाद, पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और साइबर ठगी के आरोपियों को पकड़ने के लिए कदम उठाए हैं। पुलिस साइबर अपराधियों को पकडने के लिए तकनीकी और डिजिटल उपकरणों का उपयोग कर रही है ताकि इस प्रकार की ठगी के मामलों को रोका जा सके और आरोपियों को सजा दिलवाई जा सके।
पीलीभीत में ऑपरेशन के दौरान सर्जिकल स्पॉन्ज छोड़ने की घटना ने डॉक्टरों की लापरवाही को उजागर किया है, जिससे एक महिला की जान चली गई। यह घटना चिकित्सकीय लापरवाही का एक गंभीर उदाहरण है और इससे यह सीखने की आवश्यकता है कि मरीजों की देखभाल में कोई भी कोताही नहीं होनी चाहिए। इस मामले में दोषी पाए गए सभी डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
साथ ही, साइबर अपराधियों द्वारा की गई ठगी की घटना भी समाज में जागरूकता की आवश्यकता को दर्शाती है। लोगों को ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए सतर्क रहना होगा और ऐसे मामलों में पुलिस से संपर्क करना होगा।