WhatsApp, जो भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले मैसेजिंग ऐप्स में से एक है, की नई Data Sharing Policy को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद पर आखिरकार नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने अपना फैसला सुनाया है। इस फैसले में व्हाट्सएप को मेटा और उसके अन्य प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक और इंस्टाग्राम के साथ डेटा साझा करने की अनुमति दे दी गई है। इससे भारत में WhatsApp के 58 करोड़ से अधिक यूजर्स पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 2021 में शुरू हुआ, जब WhatsApp ने अपनी नई गोपनीयता नीति लागू करने की घोषणा की थी। इस नीति के तहत व्हाट्सएप अपने उपयोगकर्ताओं का डेटा मेटा और उसके अन्य प्लेटफॉर्म्स के साथ साझा करना चाहती थी। इस फैसले ने भारत में डेटा गोपनीयता और उपयोगकर्ताओं की निजता पर व्यापक बहस छेड़ दी।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने व्हाट्सएप की इस नीति को उपयोगकर्ताओं के डेटा के दुरुपयोग की संभावना और निजता कानूनों का उल्लंघन मानते हुए इसे चुनौती दी। इसके बाद, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने व्हाट्सएप पर अस्थायी रूप से इस नीति को लागू करने से रोक लगा दी थी।
न्यायाधिकरण का हालिया फैसला
गुरुवार को सुनाए गए फैसले में NCLAT ने व्हाट्सएप को डेटा शेयरिंग की अनुमति देते हुए CCI के निर्देशों पर अस्थायी रोक हटा दी। हालांकि, ट्रिब्यूनल ने यह भी स्पष्ट किया कि व्हाट्सएप को 2021 की गोपनीयता नीति अपडेट से बाहर निकलने (ऑप्ट-आउट) का विकल्प उपयोगकर्ताओं को देना होगा।
व्हाट्सएप की नई डेटा शेयरिंग नीति का प्रभाव
यह नई नीति व्हाट्सएप को उपयोगकर्ताओं के डेटा को मेटा के अन्य प्लेटफॉर्म्स के साथ साझा करने की अनुमति देती है। इसका मुख्य उद्देश्य फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर व्यक्तिगत विज्ञापन देने की क्षमता को बढ़ाना है।
हालांकि, यह निर्णय यूजर्स की डेटा सुरक्षा और निजता को लेकर कई सवाल खड़े करता है। भारत में 58 करोड़ से अधिक व्हाट्सएप यूजर्स हैं, और यह बदलाव उनकी निजी जानकारी, जैसे चैट्स, लोकेशन डेटा, और अन्य व्यक्तिगत विवरणों को प्रभावित कर सकता है।
व्हाट्सएप की नई नीति के मुख्य बिंदु
- डेटा शेयरिंग की अनुमति:
व्हाट्सएप अब उपयोगकर्ताओं का डेटा मेटा के अन्य प्लेटफॉर्म्स, जैसे फेसबुक और इंस्टाग्राम के साथ साझा कर सकेगा। - विज्ञापन मॉडल:
व्हाट्सएप का यह कदम मेटा को व्यक्तिगत विज्ञापनों के जरिए राजस्व बढ़ाने में मदद करेगा। - ऑप्ट-आउट का विकल्प:
उपयोगकर्ताओं को 2021 की गोपनीयता नीति से बाहर निकलने का विकल्प दिया जाएगा, जिससे वे यह तय कर सकें कि उनका डेटा साझा हो या नहीं।
WhatsApp और मेटा का पक्ष
WhatsApp और उसकी मूल कंपनी मेटा ने इस फैसले का स्वागत किया है। मेटा के प्रवक्ता ने कहा कि यह निर्णय भारत में उनके व्यापार मॉडल को स्थिरता प्रदान करेगा। मेटा ने तर्क दिया कि प्रतिबंध के कारण व्हाट्सएप को कुछ सुविधाओं को रोकना पड़ सकता था, जो उनके लिए नुकसानदायक होता।
डेटा गोपनीयता पर उठते सवाल
इस फैसले के बाद डेटा गोपनीयता को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
- निजता का हनन:
उपयोगकर्ताओं की निजी जानकारी अब मेटा के अन्य प्लेटफॉर्म्स पर पहुंच सकती है, जिससे निजता के उल्लंघन का खतरा बढ़ जाता है। - डेटा दुरुपयोग का खतरा:
डेटा के व्यापार और विज्ञापन के लिए उपयोग किए जाने की संभावना उपयोगकर्ताओं को असहज कर सकती है। - विश्वास की कमी:
व्हाट्सएप के इस कदम से उपयोगकर्ताओं का भरोसा कम हो सकता है, क्योंकि यह कदम उनके डेटा की सुरक्षा के विपरीत है।
उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध विकल्प
व्हाट्सएप यूजर्स के पास अब ऑप्ट-आउट का विकल्प होगा, जिससे वे यह तय कर सकते हैं कि उनका डेटा मेटा के अन्य प्लेटफॉर्म्स के साथ साझा किया जाए या नहीं। यह उपयोगकर्ताओं को कुछ हद तक निजता बनाए रखने का मौका देता है।
डिजिटल भारत पर प्रभाव
व्हाट्सएप की नई नीति का भारत के डिजिटल इकोसिस्टम पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
- डिजिटल विज्ञापन:
इस नीति से डिजिटल विज्ञापन का बाजार तेजी से बढ़ेगा, क्योंकि मेटा अधिक व्यक्तिगत और प्रभावी विज्ञापन प्रदान करने में सक्षम होगा। - डेटा सुरक्षा कानून की जरूरत:
इस मामले ने भारत में मजबूत डेटा सुरक्षा कानून की आवश्यकता को उजागर किया है।
WhatsApp की नई डेटा शेयरिंग नीति पर लगी रोक हटने के बाद भारत के 58 करोड़ उपयोगकर्ताओं के लिए स्थिति जटिल हो गई है। जहां यह मेटा के व्यापार मॉडल और विज्ञापन रणनीति के लिए फायदेमंद है, वहीं उपयोगकर्ताओं की निजता और डेटा सुरक्षा पर इसके नकारात्मक प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
उपयोगकर्ताओं को चाहिए कि वे अपनी गोपनीयता सेटिंग्स को समझदारी से चुनें और ऑप्ट-आउट का विकल्प अपनाकर अपने डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करें। साथ ही, सरकार को भी डेटा सुरक्षा कानूनों को सख्त और प्रभावी बनाने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है, ताकि उपयोगकर्ताओं के अधिकारों की रक्षा की जा सके।