व्हाट्सएप (WhatsApp) के उपयोगकर्ताओं के खातों पर इजराइली जासूसी सॉफ़्टवेयर कंपनी “पैरेगन सॉल्यूशंस” द्वारा हमला किया गया है, और यह जानकारी मेटा (Meta), व्हाट्सएप की पैरेंट कंपनी ने दी है। मेटा ने बताया कि इस हमले में दो दर्जन देशों के करीब 90 उपयोगकर्ताओं को निशाना बनाया गया है, जिनमें ज्यादातर पत्रकार और नागरिक समाज के सदस्य शामिल हैं। मेटा ने इस मामले में पैरेगन सॉल्यूशंस को एक “सीज़ एंड डेसिस्ट” पत्र भेजा है, जिसमें कंपनी से कहा गया है कि वह इन हमलों को तुरंत रोक दे।
पैरेगन सॉल्यूशंस और जासूसी सॉफ़्टवेयर
पैरेगन सॉल्यूशंस इजराइल की एक कंपनी है, जो उच्च-स्तरीय निगरानी सॉफ़्टवेयर बेचती है। यह सॉफ़्टवेयर सरकारों द्वारा अपराधों की रोकथाम और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, इस बार, इस कंपनी ने व्हाट्सएप के उपयोगकर्ताओं को निशाना बनाकर एक नई घटना को जन्म दिया है। जानकारी के अनुसार, हैकर्स ने लगभग 90 उपयोगकर्ताओं के खातों को निशाना बनाने की कोशिश की, और इन यूज़र्स को कई खतरनाक स्पायवेयर वाले इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज भेजे गए। इन दस्तावेजों में कोई भी इंटरएक्शन नहीं था, बस एकतरफा तरीके से दस्तावेज भेजे गए थे। ज्यादातर हमले यूरोप से जुड़े हुए थे।
व्हाट्सएप की सुरक्षा कार्रवाई
व्हाट्सएप ने दावा किया है कि उसने हैकर्स के प्रयासों को नाकाम कर दिया है और इन हमलों को मध्य में ही रोक लिया है। हालांकि, व्हाट्सएप ने यह खुलासा नहीं किया कि उसने कैसे यह पहचान किया कि यह हमला पैरेगन सॉल्यूशंस द्वारा किया गया था। इसके अलावा, व्हाट्सएप ने इस हमले के बारे में अमेरिकी एजेंसी को भी सूचित किया है। मेटा ने स्पष्ट किया है कि कंपनी हमेशा अपने उपयोगकर्ताओं के खातों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, ताकि वे निजी रूप से अपनी संचार गतिविधियों को कर सकें। मेटा का कहना है कि वह इस हमले के बाद किसी भी उपयोगकर्ता के अधिकारों को और उनकी गोपनीयता को खतरे में नहीं डालने देगा।
कनाडा का नागरिक प्रयोगशाला समूह
कनाडा स्थित एक इंटरनेट निगरानी समूह, “सिटिजन लैब्स” (Citizen Labs) ने भी इस हमले की पुष्टि की है। उनके अनुसार, पैरेगन सॉल्यूशंस उपयोगकर्ताओं को लक्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार के इन्क्रिप्टेड संदेश भेजता है, जिनमें कई खतरनाक सॉफ़्टवेयर होते हैं। यह भी माना जाता है कि इस तरह के हमले पत्रकारों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों पर खासकर ध्यान केंद्रित करते हैं, ताकि उनके निजी संदेशों और सूचनाओं तक पहुंच बनाई जा सके। सिटिजन लैब्स ने यह भी संकेत दिया कि इस तरह के जासूसी हमलों के बारे में और अधिक जांच की जरूरत है, क्योंकि यह सरकारों द्वारा निगरानी की दिशा में होने वाली अति-उपयोग की ओर इशारा करता है।
इजराइल और पेगासस प्रोग्राम
इससे पहले भी इजराइल की एक अन्य जासूसी सॉफ़्टवेयर कंपनी, “पेगासस” (Pegasus) द्वारा व्हाट्सएप यूज़र्स पर हमले का मामला सामने आया था, जिसने भारी बवाल मचाया था। पेगासस सॉफ़्टवेयर को सरकारें अपने नागरिकों पर निगरानी रखने के लिए इस्तेमाल करती हैं। पेगासस के मामले में भी पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य नागरिक समाज के प्रतिनिधियों को निशाना बनाया गया था, जिससे गोपनीयता और स्वतंत्रता के मुद्दों पर बहस छिड़ गई थी। इस मामले में इजराइली सरकार और संबंधित कंपनियों ने हमेशा इस तरह के हमलों की वैधता पर सवाल उठाए थे, लेकिन इन घटनाओं ने नागरिकों की गोपनीयता के अधिकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
निगरानी सॉफ़्टवेयर का बढ़ता हुआ खतरा
इज़राइल की कंपनियों द्वारा किए जा रहे इस तरह के हमले न केवल पत्रकारों और नागरिक समाज के लोगों के लिए चिंता का विषय हैं, बल्कि यह सरकारों, कार्यकर्ताओं और यहां तक कि आम नागरिकों के लिए भी एक बड़ा खतरा बन गए हैं। निगरानी सॉफ़्टवेयर के जरिए किसी भी व्यक्ति की निजी जानकारी की चोरी करना, उनके संवादों को सुनना, और उनकी गतिविधियों पर नज़र रखना एक गंभीर उल्लंघन है। इस तरह के हमलों से लोकतांत्रिक संस्थाओं, स्वतंत्रता और गोपनीयता के अधिकारों को नुकसान पहुंचता है। ऐसे हमलों के माध्यम से, सरकारें और अन्य संस्थाएं लोगों को डराने और उनके विचारों को नियंत्रित करने की कोशिश करती हैं, जो लोकतंत्र की बुनियादी नींव को कमजोर करता है।
मेटा की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजनाएं
मेटा ने इस घटना के बाद अपनी सुरक्षा रणनीतियों को और सख्त करने का संकल्प लिया है। कंपनी ने कहा है कि वह अपनी सुरक्षा टीम को लगातार इस तरह के खतरों के खिलाफ तैयार रखेगी और किसी भी प्रकार की जासूसी या डेटा चोरी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। इसके साथ ही, मेटा का यह भी कहना है कि वह उपयोगकर्ताओं को अधिक जागरूक करने के लिए शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन करेगा, ताकि लोग अपने खातों की सुरक्षा को लेकर सतर्क रहें और कोई भी संदिग्ध गतिविधि का सामना होने पर तुरंत रिपोर्ट करें।
यह घटना फिर से एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि डिजिटल दुनिया में गोपनीयता और सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गया है। इसके साथ ही, सरकारों और निजी कंपनियों के बीच निगरानी और गोपनीयता के अधिकारों का संतुलन बनाना अत्यंत आवश्यक हो गया है। मेटा और अन्य तकनीकी कंपनियों को अपने उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ज्यादा ठोस कदम उठाने होंगे। ऐसे हमलों के खिलाफ एकजुट होने और उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित रखने के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग जरूरी है।