Vande bharat train: भारत में रेलवे द्वारा की गई नई पहल से शाकाहारी यात्रियों को राहत मिल गई है। खासकर उन लोगों के लिए जो धार्मिक स्थलों की यात्रा के दौरान शाकाहारी भोजन की अपेक्षा रखते हैं। इस बदलाव के तहत, दिल्ली से श्री माता वैष्णो देवी (कटरा) तक चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस में अब केवल शाकाहारी भोजन ही परोसा जाएगा। यह निर्णय यात्रियों की सुरक्षा, धर्म और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से लिया गया है।
यात्रियों की चिंता
वंदे भारत एक्सप्रेस में यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए यह एक राहत की खबर है। पहले कुछ यात्री इस बात को लेकर चिंतित थे कि ट्रेन में शाकाहारी और मांसाहारी भोजन दोनों ही बनाए जाते हैं। ऐसे में शाकाहारी यात्री यह सुनिश्चित नहीं कर पा रहे थे कि उन्हें शुद्ध शाकाहारी भोजन मिलेगा या नहीं। इस चिंता को दूर करने के लिए रेलवे ने अब 100 प्रतिशत शाकाहारी भोजन देने का निर्णय लिया है।
धार्मिक दृष्टिकोण से लिया गया निर्णय
श्री माता वैष्णो देवी का तीर्थ स्थल जम्मू और कश्मीर में स्थित है और इसे एक पवित्र धार्मिक स्थान माना जाता है। यहां जाने वाले यात्री धार्मिक दृष्टिकोण से शाकाहारी भोजन की उम्मीद रखते हैं। इसलिए, वंदे भारत एक्सप्रेस में अब मांसाहारी भोजन परोसने की अनुमति नहीं होगी। रेल विभाग ने यह फैसला लिया है ताकि यात्रा के दौरान सभी यात्री एक शुद्ध शाकाहारी वातावरण में सफर कर सकें। साथ ही, यात्रियों को मांसाहारी भोजन या स्नैक्स ट्रेन में लाने की अनुमति भी नहीं होगी।
भारतीय रेलवे और सतविक परिषद के बीच समझौता
इस निर्णय के तहत भारतीय रेलवे और IRCTC ने NGO सतविक काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ मिलकर एक समझौता किया है। इस समझौते के तहत दिल्ली-कटरा वंदे भारत एक्सप्रेस को “सतविक प्रमाणपत्र” प्रदान किया गया है। यह प्रमाणपत्र यह सुनिश्चित करता है कि ट्रेन में यात्रा के दौरान केवल शाकाहारी भोजन ही मिलेगा। इस पहल से रेलवे यात्रियों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान कर रहा है और शाकाहारी भोजन को बढ़ावा दे रहा है।
शाकाहारी यात्रा को बढ़ावा
भारतीय रेलवे ने 2021 में ‘सतविक प्रमाणन’ कार्यक्रम की शुरुआत की थी। यह कार्यक्रम खासकर उन ट्रेनों के लिए लागू किया गया है, जो धार्मिक स्थानों के बीच यात्रा करती हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य यात्रियों को शाकाहारी भोजन प्रदान करना और उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इसके तहत, भारतीय रेलवे ने कई ट्रेनों को शाकाहारी प्रमाणपत्र प्रदान किया है, ताकि यात्रियों को शुद्ध शाकाहारी भोजन की गारंटी मिल सके।
यात्री अब स्वास्थ्य के प्रति सजग
समय के साथ, यात्रियों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है। अब कई यात्री ऐसी ट्रेन सेवाओं को प्राथमिकता देते हैं, जो उन्हें पोषण से भरपूर, कम कैलोरी वाले और ग्लूटन फ्री स्नैक्स उपलब्ध कराती हैं। भारतीय रेलवे अब पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए और यात्रियों की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करते हुए भोजन और पैकिंग में सुधार कर रहा है। इसके साथ-साथ, इस बदलाव से पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा, क्योंकि शाकाहारी भोजन तैयार करने से पर्यावरण पर होने वाला दबाव कम होगा।
पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति रेलवे का योगदान
रेलवे ने अपनी नई पहल के तहत शाकाहारी भोजन को बढ़ावा देते हुए यात्री स्वास्थ्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाया है। अब ट्रेनों में शाकाहारी भोजन के साथ-साथ स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट विकल्प भी उपलब्ध होंगे, जिससे यात्रियों को सफर के दौरान ताजगी और ऊर्जा का अहसास होगा। इसके अलावा, शाकाहारी भोजन के प्रसंस्करण में पर्यावरणीय प्रभाव कम होता है, जो रेलवे की पर्यावरणीय नीति के अनुरूप है।
क्या मांसाहारी भोजन परोसने की संभावना खत्म हो गई है?
वंदे भारत एक्सप्रेस के इस कदम से यह साफ हो गया है कि धार्मिक स्थलों के लिए यात्रा करने वाली ट्रेनों में मांसाहारी भोजन की सेवा अब नहीं दी जाएगी। हालांकि, अन्य ट्रेनों में मांसाहारी भोजन की सुविधा प्रदान की जाती है। लेकिन दिल्ली-कटरा वंदे भारत एक्सप्रेस की शाकाहारी नीति विशेष रूप से यात्रियों की धार्मिक भावनाओं और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लागू की गई है।
आगे की दिशा
भारतीय रेलवे ने इस पहल को सफलतापूर्वक लागू करने के बाद अब और भी ट्रेनों में शाकाहारी भोजन को प्रमोट करने की योजना बनाई है। विशेष रूप से धार्मिक स्थलों के लिए यात्रा करने वाली ट्रेनों में शाकाहारी भोजन को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके साथ ही, रेलवे का उद्देश्य शाकाहारी भोजन को यात्रियों के बीच एक सामान्य विकल्प के रूप में स्थापित करना है, ताकि अधिक से अधिक लोग स्वास्थ्यवर्धक और पर्यावरणीय दृष्टि से बेहतर भोजन विकल्प चुनें।
इस फैसले से न केवल यात्रियों को राहत मिलेगी, बल्कि भारतीय रेलवे की यह पहल पूरे देश में शाकाहारी भोजन के प्रति जागरूकता बढ़ाने का काम करेगी। अब यात्री वंदे भारत एक्सप्रेस में बिना किसी चिंता के अपनी यात्रा का आनंद ले सकेंगे। यह कदम रेलवे की धार्मिक संवेदनशीलता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का प्रतीक है।